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रागी की खेती

सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल

सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल

छत्तीसगढ़ सरकार खरीद रही समर्थन मूल्य पर

आज हम आपको एक ऐसे पोषण तत्व के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आपने बहुत कम सुना होगा, या यह भी हो सकता है कि इसके बार में अभी तक आपको कोई जानकारी ही न हो। जिसमें ऐसे कई पोषण तत्व मौजूद हैं जो आपके शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसमें कैल्शियम, विटामिन्स, फाइबर, कार्बोहाइड्रेड सरीखे तमाम जरूरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं रागी (Ragi or Raagi or Finger millet) की। रागी को बाजरा, फिंगर या नचनी के नाम से भी जाना जाता है। रागी मुख्य रूप से अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में उगाई जाती है। जिसको मडुआ, अफ्रीकन रागी, फिंगर बाजरा और लाल बाजरा के नाम से भी जाना जाता है। इसके पौधे पूरे साल पैदावार देने में सक्षम होते हैं। इसके पौधे सामान्य तौर पर एक से डेढ़ मीटर तक की ऊंचाई के पाए जाते हैं। फाइबर से भरपूर होने की वजह से ये शुगर ठीक करने और वजन घटाने में भी मदद करता है। यही नहीं यह तनाव दूर करने में काफी कारगार साबित होता है। आम तौर पर इसे पीसकर या अंकुरित अवस्था में खाते हैं। आप रागी का सेवन रोटी के तौर पर कर सकते हैं। आप इसे गेंहू के आटा के साथ मिलाएं और फिर इसकी रोटी बनाकर खाएं। इसकी इडली भी बनाई जा सकती है। अगर इसका रेगुलर सेवन किया जाए तो यह शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है।


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छतीसगढ़ सरकार कर रही समर्थन मूल्य पर खरीदी

छत्तीसगढ़ को वैसे तो धान का कटोरा कहा जाता है पर अब सरकार किसानों को अन्य फसलों के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है,जिससे वे अधिक से अधिक लाभ कमा सकें। छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में अब धान के अलावा रागी की फसल भी उगाई जा रही है। वहीं रागी की फसल को प्रोत्साहित करने और किसानों को अधिक पैदावार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले साल से किसानों से रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी भी शुरू कर दी है। पहले किसानों को इस फसल को उगाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, पर अब किसान भी धीरे-धीरे इसकी फसल लगाने में अधिक रूचि लेने लगे हैं।


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खेती-किसानी में जुड़ा नया आयाम

छत्तीसगढ़ में धान के अलावा रागी की फसल की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने से प्रदेश में खेती- किसानी में एक नया आयाम भी जुड़ गया है। जहां पहले किसान धान की फसल से समृद्ध हो रहे थे अब रागी भी उनकी समृद्धि बढ़ाने में एक कारगार साबित हो रही है।

मिलावट की संभावना नहीं

आज आधुनिक युग में हर ज्यादातर वस्तुओं में मिलावट की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं। त्यौहार हो या सामान्य दिन लोगों को अक्सर मिलावटी खाद्य पदार्थों से दो-चार होना ही पड़ता है, जिसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। वहीं बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते है क्यों के उनकी इम्युनिटी पावर कम होने के कारण उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है, जिस कारण उनमें बीमारियों का खतरा अधिक रहता है। पर रागी के मामले में ऐसा नहीं है। रागी में मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं है। क्यों के रागी के दाने बहुत ही छोटे होते हैं, इसलिए इसे पॉलिश या प्रोसेस करने की संभावना नहीं होती। जिस वजह से इसमें मिलावट की भी संभावना नहीं रहती है। ऐसे में निरोगी रहने के लिए रागी का सेवन जरूर करें।


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रागी में कैल्शियम की भरपूर मात्र

आज देखा जाए तो लोगों को केल्सियम की कमी से कई बीमारियां हो रही है, जिस कारण उनकी दिनचर्या कफी प्रभावित होती जा रही है। ऐसे में उन लोगों के लिए केल्सियम की कमी को दूर करने के लिए रागी एक कारगार माध्यम साबित हो सकता है। किसी भी अनाज से तुलना की जाए तो रागी के आटे में कैल्शियम सबसे अधिक पाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा नॉन-डेयरी प्रोडक्टक्स है जिसमें में इतनी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जिस वजह से अगर आप हड्डी की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसके नियमित उपयोग से आप अपनी हड्डियों और दांतों को मजबूत बना सकते हैं. इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम में भी यह बहुत ही उपयोगी है.

- डायबिटीज़ भी कंट्रोल में रखती है रागी

अनियमित खानपान और प्रभावित होती दिनचर्या के कारण आज पूरे विश्व में डायबिटीज की बीमारी एक मुख्य समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। हर घर में एक व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहा है और इस बीमारी से छुटकारा पाने हर महीने रुपए खर्च कर रहा है, फिर भी समस्या जस की जस बनी हुई है। ऐसे में रागी आपको डायबिटीज से बचाने में काफी कारगर सिद्ध हो सकती है। रागी में चावल, मक्का या गेहूं की तुलना में हाई पॉलीफेनोल और डायटरी फाइबर भरपूर मात्रा में मिलता है जिससे आप ग्लूकोज को नियंत्रित रख सकते हैं. इसे आप ब्रेकफास्ट से लेकर लंच या डिनर में भी खा सकते हैं।

सर्दियों में बीमारी से बचाने में कारगार

हर साल सर्दियों का मौसम आते ही सर्दी-खांसी, गले में खराश होना और अधिक ठंड की वजह से कोल्ड स्ट्रोक का खतरा होता है। ऐसे में रागी आपको इन सबसे बचाने में काफी अहम भूमिका निभा सकती है। सर्दियों में लोग अपनी डाइट में कई तरह के फूड्स को शामिल करते हैं, जो शरीर को गर्म रख सकें. ऐसी ही खाद्य सामग्रियों में से एक है रागी। कैल्शियम से भरपूर सर्दियों में इस्तेमाल में लाया जाने वाला रागी का आटा किसी भी अन्य अनाज की तुलना में कैल्शियम से भरपूर होता है।
रागी की फसल उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी (Ragi Ki Kheti and Finger Millet Farming in Hindi)

रागी की फसल उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी (Ragi Ki Kheti and Finger Millet Farming in Hindi)

फिंगर मिलेट (एल्यूसिन कोरकाना) आमतौर पर रागी के रूप में जाना जाता है, यह एक महत्वपूर्ण मोटा अनाज है और चारे के उद्देश्य से भी उगाई जाने वाली फसलें है।  भारत में विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ में इस फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। फ़सल कम इनपुट की आवश्यकता होती है और ये फसल कीट और रोगों से कम प्रभावित होता है। फसल 90-120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इस फसल को सूखा सहने के लिए के लिए आदर्श माना जाता है।  भारत में  कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड और महाराष्ट्र में मुख्य रूप से रागी की खेती होती है। रागी में लगभग 65-75% कार्बोहाइड्रेट, 8% प्रोटीन, 15-20% आहार फाइबर और 2.5-3.5% खनिज होते है। रागी के दाने उच्चतम कैल्शियम की मात्रा (344mg /100g अनाज), लोहा,जस्ता, आहार फाइबर और आवश्यक अमीनो एसिड के लिए जाने जाते है।

रागी की फसल किस मौसम में उगाई जाती है 

रागी की खेती खरीफ के मौसम में की जाती है यहाँ एक गर्मी को सहने वाली फसल है। फसल की अच्छी वृद्धि 34 -  30 डिग्री के दिन के तापमान और  22 से 25 डिग्री सेल्सियस  रात के तापमान में होती है। यह उन क्षेत्रों में सबसे अच्छा पनपता है जहाँ वार्षिक वर्षा लगभग 1000 mm तक होती है।  यह भी पढ़ें:
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रागी की फसल किस प्रकार की मिट्टी में अच्छी उपज देती है 

रागी की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जाती है। चिकनी दोमट से लेकर बालुई ऊँची भूमि वाली मिटटी में भी ये फसल उगाई जा सकती है। यह फसल अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिटटी में अच्छी पनपती है। अच्छी उर्वरता वाली हल्की लाल दोमट और बलुई दोमट मिट्टी भी रागी की फसल के लिए उत्तम मानी जाती है, मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होनी चाहिए। क्षारीय मिट्टी में भी पौधा अच्छी तरह से पनपता है। 

रागी की किस्में 

कर्नाटक के लिए -  GPU 28, GPU-45, GPU-48,PR 202, MR 1, MR 6, Indaf 7, ML365, GPU 67, GPU 66, KMR 204, KMR 301, KMR 340, Tamil Nadu के लिए - GPU 28, CO 13, TNAU 946 ,(CO 14), CO 9, CO 12, CO 15,आंध्र प्रदेश के लिए - VR 847, PR 202, VR 708,VR 762, VR 900, VR 936, झारखण्ड के लिए -  A 404, BM 2, VL 379 ,उड़ीसा के लिए -  OEB 10, OUAT 2, BM 9-1, OEB 526, OEB-532, उत्तराखंड के लिए -  PRM-2, VL 315, VL 324, VL352, VL 149, VL 146, VL-348,VL-376, PES 400, VL 379,छत्तीसगढ़ के लिए -  छत्तीसगढ़ -2, BR-7, GPU 28, PR 202, VR 708 and VL149, VL 315, VL 324, VL 352, VL 376,महाराष्ट्र के लिए -   दापोली  1, Phule नाचनी, KOPN 235, KoPLM 83, Dapoli-2,गुजरात के लिए -   GN 4, GN 5, GNN 6, GNN 7

बीज बुवाई का तरीका और बीज की मात्रा 

रागी को छिड़काव और ड्रिल दोनों तरीकों से बोया जा सकता है। कई जगह इसकी खेती नर्सरी लगा कर भी की जाती है। छिड़काव विधि से बीज की डायरेक्ट खेत में हाथ से छिड़ दिया जाता है। उसके बाद बीज को मिट्टी में मिलाने के लिए कल्टीवेटर से दो बार हल्की जुताई कर पाटा लगा दिया जाता है। रागी की बिजाई मशीनों द्वारा कतारों में की जाती है। बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 25 -30 सेंटीमीटर होनी चाहिए और बीज से बीज की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए।  सीधी बुवाई करने के लिए 4-5 किलोग्राम बीज एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है। रोपण विधि में 2 किलोग्राम बीज एक एकड़ की नर्सरी तैयार करने के लिए पर्याप्त होती है।  यह भी पढ़ें: सेहत के साथ किसानों की आय भी बढ़ा रही रागी की फसल 20-25 दिनों की नर्सरी रोपण के लिए उत्तम मानी जाती है। बीज को उपचारित करने के लिए थीरम, बाविस्टीन या फिर कैप्टन दवा उपयोग करें

फसल की सिंचाई

इसकी फसल (ragi crop) के लिए अधिक सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है।  अगर वर्षा सही समय पर नहीं हुई तो बुवाई के एक महीने के बाद फसल की सिचाई करें।  फसल पर फूल और दाने आने पर पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है।

रागी की फसल में खाद और उर्वरक प्रबंधन 

अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए  5 -6 टन कम्पोस्ट या गोबर की खाद डालें। बुवाई से लगभग एक माह पूर्व आम तौर पर अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खाद डालें।    वर्षा आधारित स्थिति में 12-15  किलोग्राम नाइट्रोजन, 8 किलोग्राम फॉस्फोरस व 8  किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से फसल में डालें और सिंचित फसल के लिए   20 -25  किलोग्राम नाइट्रोजन ,12-15  किलोग्राम फॉस्फोरस व 12-15  किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से फसल में डालें। फॉस्फोरस, पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा और नाइट्रोजन की आधा बुवाई के समय और शेष आधी नाइट्रोजन पहली सिंचाई के समय फसल में डालें।

रागी की फसल में खरपतवार नियंत्रण

रागी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित समय निराई गुड़ाई करते रहे। रागी की बुवाई के करीब 20-25 दिन बाद पहली निराई करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रागी की बुवाई से पहले आइसोप्रोट्यूरॉन या ऑक्सीफ्लोरफेन की उचित मात्रा का छिड़काव करें।  यह भी पढ़ें: राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मोटे अनाजों के उत्पादों को किया प्रोत्साहित

फसल की कटाई और पैदावार 

रागी की कटाई उसकी किस्मों पर निर्भर करती है। सामान्यतः फसल तक़रीबन 115-120 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। रागी की बालियों को दराती से काट कर ढेर बनाकर धुप में 3-4 दिनों के लिए सुखाएं। अच्छी तरह से सूखने के बाद थ्रेशिंग करें। रागी की फसल से औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाती है।  .